वो चला गया
जिस दर्द में खुद था
उसी दर्द से जला गया
वो चला गया।
हार के हारा भी क्या
लड़ा नहीं और भागा भी क्या
निहत्था कर जंग अपनी संभला गया
वो चला गया ।
परवाह उसने मेरी ना कि
खुद अकेला रहा
मुझे भी अकेला बना गया
वो चला गया ।
विकल्प तूने क्या चुना
मन की आंखों से क्या सुना
मंजिल को समझा कि नहीं
खुद की बुद्धि से छला गया
वो चला गया ।
ना कुछ सोचा ना समझा
ना अपनी ताकत को परखा
उसने काफी सहा मगर
हमसे कुछ भी कहा नहीं
फूल खिलता एक दिन
वो पहले ही मसला गया
वो चला गया ।
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