सालो पहले की बात बताऊ
चलो आज उस हुस्न हँसी को
मैं अपने खयालो में लाऊँ
कहती थी हर लफ़्ज खरा वो
आज उसी की बात सुनाऊ
रोती थी तो वक़्त सिसकता
हँसती थी तो मौसम चमकता
हर तारा उसकी हँसी सा
आओ उसकी तस्वीर दिखाऊ
बातें उसकी महका देती
चमन बहार सी ले आती
जो वो थाम लेती बाहँ मेरी
वो मेरी ताक़त बन जाती ।
नाम वो अक्सर लिखती मेरा
उसकी सारी किताबो में
मैं भी नाम उसी का लेता था
हर आती जाती सांसो में ।
कहती थी के मुजे भी लिखना
दिल की कोई बात तुम्हारी
मैं पढू तो मुझको आये फिर याद तुम्हारी
चलो आज फिर कलम चलाऊ
एक खत लिखू और उसको जलाऊ
शायद रूह हर अल्फाज की
तुझ तक पहुंच जाएं ।
वादे जो तूने किये थे
सोचा क्यों ना याद दिलाऊ
जो छीना है खुदा ने मुझसे
क्यों ना उसका अहसास कराऊ ।
जो दर्द है मेरा
आज क्यों ना तुजे बताऊ ।
तेरी खुश रहने की कसम ने
कसम से दर्द दिया हैं
तेरे जाने का नहीं
मगर तुजे खोने का दर्द पिया है
तो सोचा दर्द सारे भुलाऊं
चलो आज उस हुस्न हँसी को
मैं अपने खयालो में लाऊँ ।
- Dr. Ravi kirti Didwania
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