Tuesday, September 14, 2021

श्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित

तुम अटल अजर अमर 
जलता रहे दिप ये प्रखर 
नभ से लेकर भूतल पर
माँ भारती के अनुभव पटल पर 
विजयी अडिग अटल 
मानुष का मानक 
श्रेष्ठ कथानक 
पित्र रूप संस्थापक 
लेखक कवि और गायक 
विजयी अटल नायक 
तुम अटल अजर अमर 
जलता रहे दिप ये प्रखर ।
- Dr. Ravi kirti Didwania
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वो तस्वीर सनम की

सालो पहले की बात बताऊ 
चलो आज उस हुस्न हँसी को 
मैं अपने खयालो में लाऊँ 
कहती थी हर लफ़्ज खरा वो 
आज उसी की बात सुनाऊ 
रोती थी तो वक़्त सिसकता 
हँसती थी तो मौसम चमकता 
हर तारा उसकी हँसी सा 
आओ उसकी तस्वीर दिखाऊ 
बातें उसकी महका देती 
चमन बहार सी ले आती 
जो वो थाम लेती बाहँ मेरी 
वो मेरी ताक़त बन जाती ।
नाम वो अक्सर लिखती मेरा 
उसकी सारी किताबो में  
मैं भी नाम उसी का लेता था 
हर आती जाती सांसो में ।
कहती थी के मुजे भी लिखना 
दिल की कोई बात तुम्हारी 
मैं पढू तो मुझको आये फिर याद तुम्हारी 
चलो आज फिर कलम चलाऊ 
एक खत लिखू और उसको जलाऊ 
शायद रूह हर अल्फाज की 
तुझ तक पहुंच जाएं ।
वादे जो तूने किये थे
सोचा क्यों ना याद दिलाऊ 
जो छीना है खुदा ने मुझसे 
क्यों ना उसका अहसास कराऊ ।
जो दर्द है मेरा 
आज क्यों ना तुजे बताऊ ।
तेरी खुश रहने की कसम ने 
कसम से दर्द दिया हैं 
तेरे जाने का नहीं 
मगर तुजे खोने का दर्द पिया है 
तो सोचा दर्द सारे भुलाऊं 
चलो आज उस हुस्न हँसी को 
मैं अपने खयालो में लाऊँ ।
- Dr. Ravi kirti Didwania

Saturday, February 20, 2021

आत्महत्या

वो चला गया

जिस दर्द में खुद था 

उसी दर्द से जला गया 

वो चला गया।

 

हार के हारा भी क्या

लड़ा नहीं और भागा भी क्या

निहत्था कर जंग अपनी संभला गया 

वो चला गया ।


परवाह उसने मेरी ना कि 

खुद अकेला रहा 

मुझे भी अकेला बना गया

वो चला गया ।


विकल्प तूने क्या चुना 

मन की आंखों से क्या सुना 

मंजिल को समझा कि नहीं 

खुद की बुद्धि से छला गया

वो चला गया ।


ना कुछ सोचा ना समझा 

ना अपनी ताकत को परखा

उसने काफी सहा मगर 

हमसे कुछ भी कहा नहीं 

फूल खिलता एक दिन 

वो पहले ही मसला गया

वो चला गया ।