दर्द के पैमाने
में अश्क की शराब है
दिल इसे पी रहा
है , ये भी एक शबाब है |
मौत के दीदार की,
गड़ीयाँ इंतज़ार की,
बे वजह की खीज पे
गुस्से का गुबार है |
हर चुभन को पी
रहा, बन रहा शैलाब है |
दर्द लाजवाब है,
जख्म बेहिसाब है,
टूटती धड़कनो को
आज भी इक नाज़ है |
उस नाज़ का एक ताज
है
ये मेरी प्रीत का
अंदाज़ है |
मर रहा इंसान और
सज रही तस्वीर है,
इक वफ़ा के नाम पे
लूट रही तकदीर है |
रंजिशों की
चादरों से लाश इश्क की ढंकी है ।
इश्क के
नुमाइंदों ने चाल वज़ीर सी चली है ।
खुद की शर्मिंदगी
से जालसाज़ी आ गयी,
खुद की बेवफाई पे
जूठी कहानी छा गयी |
सुन रहे जो लोग
है छल रहे कुछ लोग है
रंग रहे तस्वीर
ऐसी सच मगर कुछ और है |
तेरे चुने इन
रंगों से तू ,
तस्वीर मेरी ना
बना पायेगा
मैं ठहरा मामूली
शीशा |
जो रंग मुझपे चढ़ायेगा
तो
खुद को ना देख पायेगा
|
पत्थर भी इक
मारोगे तुम
तो खुद अपने को
बिखरा पाओगे |
जो बढाओगे फिर इक
कदम
हर कदम पे जख्म ही
पाओगे |
बस यही आखरी अल्फाज़ है कि
नब्ज कोई थामे और
धड़कने गुमनाम हो ,
बेवफा के सामने
बस इश्क का ही नाम हो |
गुस्से की उस आग
को
बस इश्क का पैगाम
हो
और ये आखिरी सलाम
हो |
खुद अपने गहनों
की कीमत गिरा रहे है लोग
फिर टूटे गहनों
को लिए अश्क बहा रहे है लोग |
खुद को तराशने
में चोट मूरत खाती है ,
खुद को तलाशने
में जिंदगी बीत जाती है |
मैं तो बस संभल
रहा था ,
संभलते ही सामने
मौत आ जाती है |
यारो ये जिंदगी
है,
कभी महोब्बत से
मौत और
कभी मौत से
महोब्बत हो जाती है |
आजकल प्यार का
वास्ता आपके द्वारा दी गयी सुविधाओं से होता है
और कौन आपका साथी
है सहारा है
इसका पता जिंदगी
मे आयी कुछ दुविधाओं से होता है ।
और मुहब्बत वो
जहर है
जो जुबां को लजीज
दिल को अजीज और
और दुनिया को एक
दहलीज़ लगता है
फिर भी
उस पार खड़े उन
दीवानों को
ये मर्ज़ ए ताबीज लगता
है |
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