मै खुद का ही वकील हूँ
मै खुद का ही वकील हूँ
खुद ही मुअक्किल हूँ
खुद का गुनाहगार
और खुद का ही पहरेदार हूँ
अपने ही गुनाहों से
आज मै जलील हूँ
मै खुद का ही वकील हूँ
रहता हूँ सलाखों के पीछे
चलता हूँ तो पैरों की किल हूँ
अपनी बेगुनाही की
इक अधूरी सी दलील हूँ
मगर मै खुद का ही वकील हूँ
दर्द की जंजीर में
जकड़ रहा है जहन
रूह मेरी नाराज
और जिस्म पुकारता कफ़न
दे के एक जुबा
उस जुबान की तामील हूँ
मै खुद का ही वकील हूँ
लड़ रहा हालात से
जंग हर जस्बात से
आग में सिमट रहा
जलता सा फतील (दिये की बाट )
हूँ
मै खुद का ही वकील हूँ
खुदा भी अपने रास्ते
मै दर ब दर भटक रहा
जख्म जितने मोड़ है
मौत ही बस तोड़ है
और कितने अश्क है ?
शायद अश्क की ही झील हूँ
मै खुद का ही वकील हूँ
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